ऋषिकेश- राजकीय महाविद्यालय के क्षेत्रीय कार्यशाला में जल स्रोतों की गुणवत्ता व मूल्यांकन पर मंथन
त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश – उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, देहरादून एवं उत्तराखंड जल संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में क्षेत्रीय आउटरीच अभिविन्यास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग में किया गया।
गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रोफेसर पंकज पन्त, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजय गुप्ता, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के प्रोफेसर विनय सिन्हा, जनपद देहरादून के समन्वयक डॉ. प्रशांत सिंह, कार्यक्रम संयोजक प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा व डीन कला संकाय एवं विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य उपस्थित रहे। प्राचार्य प्रो. पंकज पंत ने कहा कि जल ही जीवन है, अतः जल को बचाना हमारा कर्तव्य है, उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना आवश्यक है। वरना एक समय ऐसा आयेगा जब जल नही रहेगा और पृथ्वी खत्म हो जाएगी। उन्होंने पेयजल कृषि उपयोग के लिए जल, ओद्योगिक संस्थानों में प्रयुक्त होने वाले जल आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप जल की उपलब्धता व उपयोग पर जोर दिया। प्रोफेसर संजय गुप्ता ने जल के बायोलॉजिक जांच बड़े स्तर पर नियमित अंतराल पर करने को आवश्यक बताया। जल सुरक्षा योजना बनाकर सतही व भूगर्भीय जल की लंबे समय तक जांच को जन स्वास्थ्य के लिए जरूरी बताते हुए अपनाए जाने पर जोर दिया। डॉ. प्रशांत सिंह व कार्यक्रम संयोजक प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने कहा कि बिना जल के जीवन संभव नहीं है, इस कार्यशाला से छात्रों में एक जागृति आएगी, जल का संरक्षण हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो. विनय सिन्हा ने कहा कि स्वच्छ पानी अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक है व उन्होंने उत्तराखंड के जल स्रोतों के प्रदूषण के कारको पर प्रकाश डालते हुए उनके सुरक्षित रखने के तरीके पर अपना विशेषज्ञ व्याख्यान दिया। प्रोफ़ेसर संजय गुप्ता ने कहा कि पानी मानव में उर्जा तंत्र को संचालित करता है। इसलिए पानी की गुणवत्ता व सुरक्षा बेहद जरूरी है। डॉ. गुप्ता ने पानी में मौजूद जैविक रसायनों के बारे में वहां मौजूद प्रतिभागियों को विस्तारपूर्वक सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की। उत्तराखंड जल संस्थान के अभियंता अनिल नेगी ने उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा ऋषिकेश क्षेत्र में जल गुणवत्ता पर किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सिंह ने अपने तकनीकी व्याख्यान में जल स्रोतों की गुणवत्ता वह सुरक्षा पर बताया कि अब तक प्रदेश के 10 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को एनएबीएल की मान्यता प्राप्त हो चुकी है। शेष प्रयोगशालाओं का जल्द ही प्रमाणीकरण हो जाएगा। साथ ही उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोतों के संरक्षण पर जोर दिया और पानी को जीवन का महत्वपूर्ण अंग बताया। पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने सुरक्षा व संरक्षा करने के साथ साथ शिक्षण संस्थाओ में जल सम्बन्धी मामलो की तकनीकी जानकारी व प्रशिक्षण की जरुरत पर जोर दिया। डॉ. विकास कंडारी ने फील्ड टेस्टिंग किट के द्वारा प्रतिभागियों को जल में मौजूद जल गुणवत्ता के सभी भौतिक- रासायनिक एवं जैविक मानको का प्रशिक्षण दिया। जिसमे अर्चित पाण्डेय ने महत्वपूर्ण प्रयोग कर जल नमूने की जांच करके दिखाई। अंत में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापिका शालिनी कोटियाल द्वारा सभी अतिथियों का व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यशाला का संचालन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापिका सफिया हसन द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में दयानंद पब्लिक स्कूल, अगापे मिशन स्कूल, श्री भारत मंदिर पब्लिक स्कूल, भरत मंदिर इंटर कॉलेज, मनोज कुमार गुप्ता कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ ऋषिकेश परिक्षेत्र देहरादून, एम्स ऋषिकेश, मोर्डेन इंस्टिट्यूट, आदि स्कूलों के छात्र-छात्राओं व अध्यापकों ने प्रतिभाग किया।