ऋषिकेश- कांग्रेसी नेताओं पर दर्ज हुए मुकदमें में हाईकोर्ट ने दी राहत

त्रिवेणी न्यूज 24
नैनीताल _ हाई कोर्ट नैनीताल ने कांग्रेस नेताओ जयेंद्र रमोला, अभिनव थापर व गरिमा दसोनी के मुकदमे ख़ारिज करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिए हैं। विगत दिनों प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल के पुत्र पीयूष अग्रवाल ने अभिनव थापर, जयेंद्र रमोला व गरिमा दसोनी पर कोतवाली देहरादून में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया कि इन तीन कांग्रेसी नेताओं ने इनके व इनके पिता वित्त मंत्री का सार्वजनिक अपमान किया। पीयूष व इनके पिता वित्त मंत्री की मानहानि कर कांग्रेस नेताओ ने कांग्रेस मुख्यालय, देहरादून में 28 दिसंबर को प्रेस वार्ता करके फर्जी तथ्यों के साथ पीयूष अग्रवाल पर राजस्व चोरी व सरकारी धन के लूट के आरोप लगाए। इस FIR के विरुद्ध अभिनव थापर, जयेंद्र रमोला और गरिमा दासोनी तीनों कांग्रेसी नेताओं ने हाईकोर्ट नैनीताल में याचिका दायर की जिस पर आज सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुख्य बिंदु थे कि जयेंद्र रमोला ने प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ा व उनके चुनाव को खारिज करने हेतु हाई कोर्ट में इलेक्शन पिटीशन भी दाखिल की गई है। अभिनव थापर ने विधानसभा भर्ती घोटाले को हाईकोर्ट के पटल पर खोला है। जिसके पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल मुख्य आरोपियों में से एक है। इसलिए उनके बेटे ने इनपर राजनीतिक रंजिश के तहत यह मुकदमा पुलिस से करवाया। बताया कि जो प्रेस वार्ता की गई वह सरकारी सत्यापित दस्तावेजों के आधार पर की गई और कोई अनर्गल आरोप नहीं लगाये।
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय मिश्रा ने सरकार को आदेश देते हुए तीनों कांग्रेसी नेताओ के खिलाफ पूरी पुलिस जांच को स्थगन कर दिया। हाई कोर्ट ने आदेश दिया की 4 हफ्ते के अंदर पुलिस और पीयूष अग्रवाल ये बताए की यह FIR इन कांग्रेसी नेताओ पर किन तथ्यों के आधार पर दर्ज कराई गई थी और समस्त याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया। इस हाई-प्रोफाइल राजनैतिक मामले में कांग्रेसी नेताओ के लिए हाईकोर्ट से यह बड़ी राहत की खबर है।
मुख्य अपीलकर्ता अभिनव थापर के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि जस्टिस संजय मिश्रा की बेंच ने यह आदेश दिए है कि पुलिस जांच स्थगित की जाए व 4 हफ्ते में सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
हाईकोर्ट के इस कड़े निर्णय से प्रथम दृष्टया यह लगता है कि पीयूष अग्रवाल की कांग्रेसी नेताओं के विरुद्ध यह FIR बिना किसी तथ्यों के व जल्दबाजी में सत्ता के जोर से कांग्रेसी नेताओ पर करवाई गयी थी।

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