ऋषिकेश- बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वाले तीन महिला शिक्षिकाओं को पांच-पांच साल की कठोर कारावास की सजा
त्रिवेणी न्यूज 24
रुद्रप्रयाग _ बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले तीन महिला शिक्षिकाओं को अलग-अलग मामलों में पांच-पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा दस हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर तीनों महिलाओं को तीन महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।
रुद्रप्रयाग जिले में तैनात महिला शिक्षिका माया बिष्ट, सरोज मेवाड़ और संगीता राणा ने अपनी बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी पा ली। शिक्षा विभाग के एसआईटी और विभागीय जांच के अनुसार तीनों महिला शिक्षकाओं को विभिन्न फौजदारी मामलों में अलग-अलग सालों में प्राप्त फर्जी बीएड की डिग्री से नौकरी हासिल करने पर उनकी बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया। सत्यापन के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त हुई, जिसमें पाया गया कि तीनों फर्जी महिला शिक्षकाओं ने विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री नहीं ली है। शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई. जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने तीनों शिक्षिकाओं के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया। फर्जी शिक्षिकाओं को तत्काल निलंबित कर बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय के समक्ष विचारण हुआ।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी ने पाया दोषी _
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की कोर्ट ने शिक्षिकाओं को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर छल और कपट से नौकरी हासिल करने पर दोषी करार पाया। जिसके बाद शिक्षिकाओं को धारा 420 भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा और दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया गया। वहीं, जुर्माना अदा न करने पर तीन महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। जबकि, धारा 471 भारतीय दंड संहिता 1860 के अंतर्गत दोषसिद्ध पाते हुए दो वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया गया। इसमें भी जुर्माना अदा ना करने पर एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। दोषसिद्ध महिला शिक्षिकाओं माया बिष्ट, सरोज मेवाड़ और संगीता राणा को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर दंडादेश भुगतने को लेकर जिला कारागार पुरसाड़ी भेजा गया।