14 फरवरी को हड्डियों पर एम्स और नार्थ-जोन ऑर्थोपेडिया एसोसिएशन करेगा चर्चा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग की ओर से 14 फरवरी से नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से कार्यशाला व सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
उत्तराखंड में पहली बार आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सक 21वीं सदी में ऑर्थोपेडिक्स विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। एम्स ऋषिकेश संस्थान की पहल पर उत्तराखंड में नाॅर्थ जोन आर्थोपेडिक्स कांफ्रेंस का आयोजन पहली बार यहां हो रहा है। इस कांफ्रेंस में एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ समेत देश के वि​भिन्न मेडिकल संस्थानों के अलावा इंग्लैंड, जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर आदि देशों के जाने माने हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ प्रतिभाग करेंगे। संस्थान की ओर से हड्डी रोग विशेषज्ञों के इस सम्मेलन के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एम्स ऋषिकेश के हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग में आधुनिकतम विधियों का प्रयोग करके सभी प्रकार के हड्डी रोग से संबंधित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षु चिकित्सकों व देश के विशेषज्ञ चिकित्सकों को विश्वस्तरीय आधुनिकतम चिकित्सा पद्धतियों से रूबरू कराना है। जिससे हड्डी रोगी की समस्याओं के निदान के साथ साथ उन्हें गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध हो सके।

विभाग की प्रोफेसर शोभा एस. अरोड़ा ने बताया कि कार्यशाला में चिकित्सकों को हड्डी के कैंसर से ग्रसित जोड़ों के पुनर्निर्माण की विधियों, रोबोट की सहायता से जोड़ों को बदलने की नवीनतम विधियों, वयस्कों के घुटने से नीचे के टेढे पैरों को हाई टीबीयल, ओस्टियोटोमी द्वारा सीधे करने की विधियों, जन्मजात विकृत का जेईएसएस शिकंजे के माध्यम से सीधा करने की विधियों व ड्रिल का प्रयोग करके रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन करने की विधियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. पंकज कंडवाल ने बताया कि नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक कांफ्रेंस का आयोजन प्रतिवर्ष उत्तर भारत के दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, हरियाणा आदि प्रदेशों में किया जाता है। इस वर्ष एम्स ऋषिकेश के हडृडी एवं जोड़ रोग विभाग को उत्तराखंड में इस सम्मेलन के आयोजन का अवसर प्राप्त हुआ है।

डा. कंडवाल ने आगे कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से इलाज की आधुनिकतम पद्धतियों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है, उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वर्ष इस सम्मेलन से प्रत्यक्षरूप से उत्तराखंड एवं देश के अन्य हिस्सों से यहां आने उपचार को आने वाले रोगी लाभान्वित होंगे।
आयोजन के विषय में एम्स निदेशक पद्मश्री रविकांत का कहना है कि इससे डॉक्टरों को नई तकनीकों के बारे में समझने का मौका मिलेगा। जिसका लाभ सीधे मरीजों तक पहुंचेगा। एम्स ऐसे आयोजनों से चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देते हुए आया है।

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