ऋषिकेश त्रिवेणी घाट में चल रही भागवत कथा के प्रसंगो को सुन भावविभोर हुए श्रोता
ऋषिकेश। तीर्थनगरी के त्रिवेणी घाट पर माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर पुलवामा में वीरगति प्राप्त सैनिकों की स्मृति व समस्त शहीदों के निमित श्रीमद् भागवत कथा व्यास पीठ पर विराजमान गौ गंगा प्रेमी आचार्य श्री भरत किशोर ने श्री कृष्ण लीला का भावपूर्ण वर्णन करते हुए श्रोताओं को प्रेम वात्सल्य और भक्ति रस में मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि कन्हैया जैसे लीला मनुष्य या कोई अन्य देव नहीं कर सकता, लीला और क्रिया में अंतर होता है, भगवान ने लीला की है, जैसे जिसको कर्तव्य का अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा हो, तो वह क्रिया कहलाती है, जिसको ना तो कर्तव्य का अभिमान है, और ना ही सुखी रहने की इच्छा हो, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं, भगवान श्री कृष्ण ने यही लीला की, जिससे सभी गोकुल वासी सुखी थे, भगवत मर्मज्ञ ने कहा कि माखन चोरी का रहस्य मन की चोरी से है, कन्हैया ने अपने भक्तों के मन की चोरी की है, इस प्रकार उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए, बैठे श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया, तत्पश्चात पूतना वध, गोवर्धन लीला के अलावा राम लीला का वर्णन किया गया। सुदूर क्षेत्रों से आए सैकड़ों भक्तों ने कथा श्रवण की। इस अवसर पर राज्यमंत्री उत्तराखंड भगतराम कोठारी, टीएचडीसी के निदेशक श्री मोहन सिंह रावत (गांववासी), वरिष्ठ समाजसेवी ज्योति सजवान, कार्यक्रम संयोजक पंडित रवि शास्त्री, वरिष्ठ समाजसेवी मनोहर रतूडी, सन्दीप बडोनी, ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष गंगाराम व्यास, अमरनाथ शास्त्री, अनिल गौरोला, दक्षेश नोटियाल, पुष्पा देवी, मीना देवी, रेखा देवी, कुसुम लता, राहुल शर्मा जतन स्वरूप भटनागर, अमित सक्सेना आदि लोग उपस्थित रहे।