लाइफ ट्रांसफॉर्मिंग फीमेल कॉस्मेटिक जननांग सर्जरी की सुविधा शुरू कर एम्स ऋषिकेश बना देश का पहला संस्थान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में अब लाइफ ट्रांसफॉर्मिंग फीमेल कॉस्मेटिक जननांग सर्जरी की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही एम्स ऋषिकेश देश का एकमात्र ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है, जिसमें यह विशेष विभाग स्थापित किया गया है। संस्थान के पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग ने 23 साल की अविवाहित युवती की नर्व स्पेयरिंग रिडक्शन क्लिटोरोप्लास्टी सर्जरी कर मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नई बुलंदी हासिल की है। इस युवती को जन्म से ही क्लिटोरल हाइपरट्रॉफी की शारीरिक विकृति थी। जननांग विकृति का इलाज कर उसे पूर्ण स्त्रीत्व प्रदान करने वाला एम्स ऋषिकेश उत्तर भारत का पहला संस्थान है, जिसने अनुभव आधारित तकनीकों का उपयोग कर महिला के शरीर में यह आमूलचूल परिवर्तन कर दिखाया है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि जनपद हरिद्वार निवासी इस युवती के लिए जननांग विकृति का कारण एक गंभीर चिंता का विषय था। इस समस्या के कारण वह भविष्य में दाम्पत्य जीवन को लेकर बेहद चिंतित थी। बेटी के घर बसाने व बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित उसके पिता ने भी देश के विभिन्न बड़े व नामी मेडिकल संस्थानों में उसका परीक्षण कराया, मगर सभी अस्पतालों से निराश होने पर अंत में बेटी की शारीरिक विकृति के समुचित उपचार को लेकर उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश की ओर रुख किया। एम्स के पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग में विभिन्न प्राकर की जांच कराने के बाद उसे क्लिटोरोमेगाॅली अर्थात क्लिरोटरल हाइपरट्रॉफी का पता चल सका। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि रोगी की जांच पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग के प्रमुख डॉ. नवनीत मैगन की देखरेख में की गई। उसका कैरियोटाइप और हार्मोनल प्रोफाइल दोनों ही एक आम महिला की भांति सामान्य था। निदेशक एम्स ने बताया कि यह एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का मामला था । उन्होंने बताया कि संस्थान के चिकित्सक डा. नवनीत मैगन और उनकी टीम ने नर्व स्पेयरिंग रिडक्शन क्लिटोरोप्लास्टी तकनीक के माध्यम से इसका सफल उपचार कर दिखाया।
उल्लेखनीय है कि एम्स ऋषिकेश पूरी दुनिया में पहला संस्थान है, जिसने रिकंस्ट्रक्टिव और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक गायनोकोलॉजी विभाग की शुरुआत कर कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी में 3 साल का पोस्ट-डॉक्टोरल एम.सी.एच कोर्स शुरू किया है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि “यह एक अत्यन्त जटिल सर्जरी है, जिसमें एम्स के अनुभवी चिकित्सकों को पूर्ण सफलता हासिल हुई है। उन्होंने बताया कि किसी युवती में इस प्रकार की प्रक्रिया वाली यह उत्तर भारत में अपनी तरह की पहली सफल सर्जरी है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग के माध्यम से हम इस बीमारी से ग्रसित महिलाओं के लिए मेडिकल साइंस की उच्च तकनीक से कॉस्मेटिक और रिकंस्ट्रक्टिव गायनोकोलॉजी सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। उनका कहना है कि यही कारण है कि एम्स ऋषिकेश में सबसे अनुभवी कॉस्मोटिक गायनोकोलॉजिस्ट को इस विभाग में लाया गया है। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश देश का एकमात्र ऐसा चिकित्सा संस्थान है, जिसमें यह विशेष विभाग स्थापित किया गया है।
ऑपरेटिंग सर्जन डॉ. नवनीत मैगन ने बताया कि युवती का क्लिटोरिस पुरुष लिंग की तरह आकृति का था। उन्होंने बताया कि यह सर्जरी लगभग 2 घंटे तक चली और चिकित्सीय टीम उसे एक सामान्य स्त्रैण रूप और अंजाम देने में सफल रही। यह पूरी तरह से उसके जीवन को बदलने वाली सर्जरी है, क्योंकि अब वह एक सामान्य यौन जीवन जी सकती है। उन्होंने बताया कि अब वह दाम्पत्य जीवन के लिए भी पूरी तरह फिट है। डॉ. मैगन ने बताया कि निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत के प्रयासों से एम्स ऋषिकेश में महिलाओं को पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक स्त्री रोग सेवाओं की पूरी श्रृंखला उपलब्ध कराई जा रही है। यह पूरी तरह दुनिया में अपनी तरह का विशेष केंद्र है।